दैनिक पंचांग – Astrogental

दैनिक पंचांग.

आज भारत में कितने बजे शुरू होगा चंद्र ग्रहण, कब समाप्त होगा? भारत में साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 08 नवंबर को शाम 5 बजकर 20 मिनट से शुरू होगा और शाम 06 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगा. चंद्र ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले इसका सूतक काल शुरू हो जाता है.
शारदीय नवरात्र अब अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका है। आज मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है। आठवें दिन महागौरी की पूजा देवी के मूल भाव को दर्शाता है। देवीभागवत पुराण के अनुसार, मां के नौ रूप और 10 महाविद्याएं सभी आदिशक्ति के अंश और स्वरूप हैं लेकिन भगवान शिव के साथ उनकी अर्धांगिनी के रूप में महागौरी सदैव विराजमान रहती हैं।
आज शारदीय नवरात्रि में मां कालरात्रि की पूजा 02 अक्टूबर को की जाएगी. मां कालरात्रि नवदुर्गा का सातवां स्वरूप हैं, जो काफी भयंकर है. इनका रंग काला है और ये तीन नेत्रधारी हैं. मां कालरात्रि के गले में विद्युत की अद्भुतमाला है. इनके हाथों में खड्ग और कांटा है. गधा देवी का वाहन है. ये भक्तों का हमेशा कल्याण करती हैं, इसलिए इन्हें शुभंकरी भी कहते हैं.
01अक्टूबर को आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि यानी शारदीय नवरात्रि का छठा दिन है। इस दिन मां दुर्गा के छठें स्वरूप देवी कात्यायनी की पूजा करने का विधान है। और अधिक जाने स्वामी जी से 9268444671 पर
शारदीय नवरात्रि का पांचवा दिन आज 30 सितंबर दिन शुक्रवार को है. इस दिन मां स्कंदमाता की पूजा करते हैं और अधिक जाने कॉल करें 9268444671 पर

आज २९/०९/२०२२ जगत जननी मां जगदंबे के चौथे स्वरूप का नाम कूष्माण्डा है। अपनी मंद हंसी द्वारा संपूर्ण कूष्मांडा को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से अभिहित किया गया है। मां कूष्मांडा की पूजा से बुद्धि का विकास होता है और जीवन में निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है।

आज 28/09/2022 को शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन है. आज के दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा करते हैं. और अधिक जानने के लिए बड़े गुरु जी से सम्पर्क करें 9268444671
आज शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन 27 सितंबर 2022, मंगलवार को है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है।

आज २६/०९/२०२२ से शक्ति की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्रि शुरू हो रहे हैं। अगले 9 दिनों तक देवी दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की विशेष पूजा-आराधना की जाएगी। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करते हुए मां के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा करने का विधान है।
भाद्रपद मास की पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत हो जाती है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष रहता है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत अधिक महत्व होता है। पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। इस पक्ष में विधि- विधान से पितर संबंधित कार्य करने से पितरों का आर्शावाद प्राप्त होता है और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस साल 10 सितंबर 2021 से पितृ पक्ष आरंभ हो गया और 25 सितंबर 2022 को पितृ पक्ष का समापन हो जाएगा।
गणेश चतुर्थी के ठीक एक तिथि बाद यानि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी को ऋषि पंचमी का व्रत रखा जाता है, जो 1 सितंबर को है. यानी आज है और अधिक जानने के लिए बड़े गुरु जी से बात करें 9268444671 पर
आज वसंत पंचमी है, हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक वर्ष माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर वसंत पंचमी मनाई जाती है। वसंत पंचमी के दिन वाणी, ज्ञान, कला और शिक्षा की देवी मां सरस्वती की पूजा विधि-विधान के साथ की जाती है। … ऐसी मान्यता है कि माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर मां सरस्वती प्रकट हुई थीं। और अधिक जानने के लिए आचार्य जी से बात करें
हिंदू माह के अनुसार एक वर्ष में चार बार नवरात्रि आते हैं, चार बार से तात्पर्य है की वर्ष के चार महत्वपूर्ण एवं पवित्र चार माह । यह चार माह हैं – माघ यानी जनवरी-फ़रवरी, चैत्र यानी मार्च-अप्रैल, आषाढ़ यानी जून-जुलाई और अश्विन यानी सितम्बर-अक्तूबर । आज यानी माघ नवरात्रि की चतुर्थी तिथि है, गुप्त नवरात्रि में कैसे अपनी मनोकामना पूर्ण करें जाने आचार्य रोहताश शर्मा जी से ।

आज 3 फ़रवरी 2022 को गुप्त नवरात्रि का तृतीय नवरात्रि है, माता रानी सबका कल्याण करे साथ ही आचार्य रोहताश शर्मा जी ने बताया किसी व्यक्ति की बीमारी का इलाज नहीं हो पा रहा हो या दवाई नहीं लग रही है तो तुरंत सीधे आप गुरु जी को अपनी whatsapp पर या website के ज़रिए देटेल भेजे क्यूँकि गुप्त नवरात्रि में उपाय करने से इलाज लगने लगता है मरीज़ को दवाई लगने लगती है और क्या है ख़ास इस गुप्त नवरात्रि को कैसे करें उपाय एवं नियम जानने के लिए बड़े गुरु जी से सम्पर्क करें
आज से माघी गुप्त नवरात्रि का आरम्भ बुधादित्य महायोग में हो रहा है। तिथियों की घट बढ़ के चलते नवरात्रि पूरे नौ दिनों के है। द्वितीया तिथि का क्षय है तो अष्टमी तिथि की वृद्धि। दो फरवरी, बुधवार को नवरात्रि की घटस्थापना शुभ मुहूर्त में होगी। प्रतिपदा व द्वितीया दोनों एक ही दिन होने से मां शैलपुत्री व ब्रह्मचारिणी देवी के साथ ही दश महाविद्या की साधना के साथ माघी नवरात्रि का आरंभ होगा। आचार्य पंडित रोहताश शर्मा वैदिक ने बताया कि कुम्भ राशि के चंद्रमा के साथ ही मकर राशि में बुधादित्य महायोग व सूर्य शनि की युति देवी आराधना के पर्व को कुछ खास बना रहे हैं। प्रतिपदा तिथि प्रातः 8 बजकर 31 मिनट तक है बाद में द्वितीया प्रारंभ होगी जो दूसरे दिन रात्रि (प्रातः) 6 बजकर 15 मिनट तक रहेगी। इसी प्रकार महाअष्टमी का पर्व दो दिन 8 व 9 फरवरी को मनाया जाएगा। यह संकेत देश के लिए अच्छा व रोग नाशक भी है।मां की कृपा से कोरोना के नए स्वरूप में कमी आएगी। कुम्भ राशि के चंद्रमा व शनि प्रधान मकर राशि में सूर्य शनि की युति से न्याय के देवता शनि की भी कृपा प्राप्त होगी। शनि नए वायरस का भय कम करेंगे।

आज २६/०९/२०२२ से शक्ति की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्रि शुरू हो रहे हैं। अगले 9 दिनों तक देवी दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की विशेष पूजा-आराधना की जाएगी। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करते हुए मां के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा करने का विधान है।
भाद्रपद मास की पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत हो जाती है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष रहता है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत अधिक महत्व होता है। पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। इस पक्ष में विधि- विधान से पितर संबंधित कार्य करने से पितरों का आर्शावाद प्राप्त होता है और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस साल 10 सितंबर 2021 से पितृ पक्ष आरंभ हो गया और 25 सितंबर 2022 को पितृ पक्ष का समापन हो जाएगा।
गणेश चतुर्थी के ठीक एक तिथि बाद यानि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी को ऋषि पंचमी का व्रत रखा जाता है, जो 1 सितंबर को है. यानी आज है और अधिक जानने के लिए बड़े गुरु जी से बात करें 9268444671 पर

आज २६/०९/२०२२ से शक्ति की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्रि शुरू हो रहे हैं। अगले 9 दिनों तक देवी दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की विशेष पूजा-आराधना की जाएगी। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करते हुए मां के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा करने का विधान है।
भाद्रपद मास की पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत हो जाती है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष रहता है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत अधिक महत्व होता है। पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। इस पक्ष में विधि- विधान से पितर संबंधित कार्य करने से पितरों का आर्शावाद प्राप्त होता है और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस साल 10 सितंबर 2021 से पितृ पक्ष आरंभ हो गया और 25 सितंबर 2022 को पितृ पक्ष का समापन हो जाएगा।
गणेश चतुर्थी के ठीक एक तिथि बाद यानि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी को ऋषि पंचमी का व्रत रखा जाता है, जो 1 सितंबर को है. यानी आज है और अधिक जानने के लिए बड़े गुरु जी से बात करें 9268444671 पर

आज दिनांक 01/03/2022 को मंगलवार महाशिवरात्रि है महाशिवरात्रि का पर्व हर वर्ष फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। ये व्रत माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है। कहा जाता है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव ने अपनी तीसरी आंख खोली थी और इस संसार को नष्ट कर दिया था। वहीं कुछ लोग यह भी कहते हैं कि इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि का पर्व सनातन धर्म में बहुत विशेष माना जाता है। मान्‍यता है क‍ि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की आराधना करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और भय पर विजय प्राप्त होता है। मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि पर पूजा करके कथा अवश्य सुननी चाहिए। महाशिवरात्रि व्रत की पौराणिक कहानी ज्ञाताओं के मुताबिक, चित्रभानु नाम के शिकारी की यह कथा शिव पुराण में मिलती है। बहुत समय पहले चित्रभानु अपने परिवार का पेट भरने के लिए शिकार करता था। गरीब होने के चलते वह साहूकार से कर्ज लिया करता था जिसको वह समय पर चुका नहीं पाता था। अपना कर्ज वसूलने के लिए एक दिन साहूकार ने चित्रभानु को कैद कर लिया जिसके वजह से चित्रभानु को भूखा प्यासा रहना पड़ा था। इसी बीच चित्रभानु ने भगवान शिव की आराधना की। चित्रभानु को पैसे व्यवस्थित करने के लिए साहूकार ने शाम को उसे छोड़ दिया, जिसके बाद चित्रभानु जंगल में दर-दर शिकार ढूंढने के लिए भटकता रहा। भटकते-भटकते शाम से रात हो गई लेकिन उसे एक भी शिकार नहीं मिला। पास में एक बेल का पेड़ था जिस पर वह चढ़ गया, उस बेल के पेड़ के नीचे एक शिवलिंग मौजूद था। चित्रभानु ने शिवलिंग पर अर्पित किया बेलपत्र: चित्रभानु के वजह से बेलपत्र टूट-टूट कर शिवलिंग पर गिरती रहीं। पूरे दिन भूखा-प्यासा रहकर रात में अनजाने में ही सही लेकिन चित्रभानु ने शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित कर दिया था। रात के समय तलाब के पास एक गर्भवती हिरणी आई। चित्रभानु उस गर्भवती हिरणी को मारने ही वाला था कि तभी गर्भवती हिरनी ने उसे कहा कि वह जल्द ही अपने बच्चे को जन्म देने वाली है। मैं अपने बच्चे को जन्म देकर ‌ आपके पास वापस आऊंगी तब आप मेरा शिकार कर लीजिएगा। गर्भवती हिरणी की बात सुनकर चित्रभानु ने उसे जाने दिया इस तरह महाशिवरात्रि का प्रथम प्रहर भी बीत गया। समाप्त हुई दूसरे प्रहर की पूजा: चित्रभानु शिकार की तलाश कर ही रहा था कि तभी वहां से एक दूसरी हिरणी आई। हिरणी को देखते ही चित्रभानु शिकार के लिए तैयार हो गया था तभी हिरणी ने उसे कहा कि वह अभी ऋतु से मुक्त होकर आई है और अपने पति की खोज कर रही है। हिरणी ने उससे वादा किया कि वह अपने पति से मिलकर शिकार के पास वापस लौटेगी। चित्रभानु ने उसे जाने दिया इस तरह आखरी प्रहर भी बीत गया। चित्रभानु के वजह से वापस बेलपत्र शिवलिंग पर गिरे जिसके वजह से दूसरे प्रहर की पूजा भी समाप्त हो गई। तीसरी हिरणी को भी कर दिया मुक्त: कुछ समय बाद वहां से तीसरी हिरणी अपने बच्चों के साथ आई, चित्रभानु फिर से हिरणी के शिकार के लिए तैयार हो गया। हिरणी ने कहा कि वह इन बच्चों को अपने पिता के पास छोड़ कर वापस आएगी। हिरणी की बात सुनकर चित्रभानु ने उसे भी छोड़ दिया। इस तरह चित्रभानु ने पूरा दिन उपवास रखा और रात्रि जागरण किया। चौथे हिरण को दिया जीवनदान: चित्रभानु अपने कर्ज और परिवार की चिंता में डूबा हुआ था तभी वहां एक हिरण आया। हिरण ने चित्रभानु को देखते हुए कहा कि अगर तुमने तीन हिरणी और उनके बच्चों को मार दिया है तभी तुम मुझे मार सकते हो। और अगर तुमने उनको छोड़ दिया है तो मुझे भी छोड़ दो मैं अपने पूरे परिवार के साथ यहां वापस आ जाऊंगा। चित्रभानु ने हिरण तो घटित घटना बताई तब हिरण ने जवाब दिया कि वह तीन हिरणियां उसकी पत्नी थीं। अगर तुमने मुझे मार दिया तो वह तीन हिरणी अपना वादा पूरा नहीं कर पाएंगी। मेरा विश्वास करो मैं अपने पूरे परिवार के साथ यहां जल्दी वापस आऊंगा। चित्रभानु को हुई मोक्ष और शिवलोक की प्राप्ति: हिरण की बात सुनकर चित्रभानु ने उसे जाने दिया। इस तरह चित्रभानु का ह्रदय परिवर्तन हो गया और उसका मन पवित्र हो गया। रात भर चित्रभानु ने भगवान शिव की आराधना की थी जिसके वजह से भगवान शिव उससे प्रसन्न हो गए थे। कुछ देर बाद हिरण अपने पूरे परिवार के साथ चित्रभानु के पास पहुंच गया था। हिरण और उसके परिवार को देखकर चित्रभानु बहुत खुश हुआ और उसने हिरण के पूरे परिवार को जीवनदान देने का वचन लिया। इस तरह चित्रभानु को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी और मरने के बाद उसे शिवलोक में जगह मिली थी।

आज वसंत पंचमी है, हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक वर्ष माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर वसंत पंचमी मनाई जाती है। वसंत पंचमी के दिन वाणी, ज्ञान, कला और शिक्षा की देवी मां सरस्वती की पूजा विधि-विधान के साथ की जाती है। … ऐसी मान्यता है कि माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर मां सरस्वती प्रकट हुई थीं। और अधिक जानने के लिए आचार्य जी से बात करें
हिंदू माह के अनुसार एक वर्ष में चार बार नवरात्रि आते हैं, चार बार से तात्पर्य है की वर्ष के चार महत्वपूर्ण एवं पवित्र चार माह । यह चार माह हैं – माघ यानी जनवरी-फ़रवरी, चैत्र यानी मार्च-अप्रैल, आषाढ़ यानी जून-जुलाई और अश्विन यानी सितम्बर-अक्तूबर । आज यानी माघ नवरात्रि की चतुर्थी तिथि है, गुप्त नवरात्रि में कैसे अपनी मनोकामना पूर्ण करें जाने आचार्य रोहताश शर्मा जी से ।

आज 3 फ़रवरी 2022 को गुप्त नवरात्रि का तृतीय नवरात्रि है, माता रानी सबका कल्याण करे साथ ही आचार्य रोहताश शर्मा जी ने बताया किसी व्यक्ति की बीमारी का इलाज नहीं हो पा रहा हो या दवाई नहीं लग रही है तो तुरंत सीधे आप गुरु जी को अपनी whatsapp पर या website के ज़रिए देटेल भेजे क्यूँकि गुप्त नवरात्रि में उपाय करने से इलाज लगने लगता है मरीज़ को दवाई लगने लगती है और क्या है ख़ास इस गुप्त नवरात्रि को कैसे करें उपाय एवं नियम जानने के लिए बड़े गुरु जी से सम्पर्क करें
आज से माघी गुप्त नवरात्रि का आरम्भ बुधादित्य महायोग में हो रहा है। तिथियों की घट बढ़ के चलते नवरात्रि पूरे नौ दिनों के है। द्वितीया तिथि का क्षय है तो अष्टमी तिथि की वृद्धि। दो फरवरी, बुधवार को नवरात्रि की घटस्थापना शुभ मुहूर्त में होगी। प्रतिपदा व द्वितीया दोनों एक ही दिन होने से मां शैलपुत्री व ब्रह्मचारिणी देवी के साथ ही दश महाविद्या की साधना के साथ माघी नवरात्रि का आरंभ होगा। आचार्य पंडित रोहताश शर्मा वैदिक ने बताया कि कुम्भ राशि के चंद्रमा के साथ ही मकर राशि में बुधादित्य महायोग व सूर्य शनि की युति देवी आराधना के पर्व को कुछ खास बना रहे हैं। प्रतिपदा तिथि प्रातः 8 बजकर 31 मिनट तक है बाद में द्वितीया प्रारंभ होगी जो दूसरे दिन रात्रि (प्रातः) 6 बजकर 15 मिनट तक रहेगी। इसी प्रकार महाअष्टमी का पर्व दो दिन 8 व 9 फरवरी को मनाया जाएगा। यह संकेत देश के लिए अच्छा व रोग नाशक भी है।मां की कृपा से कोरोना के नए स्वरूप में कमी आएगी। कुम्भ राशि के चंद्रमा व शनि प्रधान मकर राशि में सूर्य शनि की युति से न्याय के देवता शनि की भी कृपा प्राप्त होगी। शनि नए वायरस का भय कम करेंगे।

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